दादी माँ विलाप कर रही थी, क्योंकि दूसरी संतान भी पोती ही हुई थी।
पड़ोसन ने समझाया कि क्या फर्क पड़ता है कि लड़की हो या फिर लड़का।
दादी मां ने एक ठंडी साँस ली और बोली, मैं भी जानती हूँ कि बेटियां लक्ष्मी होती हैं।
मुझे तो दुख सिर्फ इतना है कि मेरी बहू को सास बनने का दर्द कब महसूस होगा?
रिश्ता वही सोच नयी