'अ'रहर की नहीं बनी है दाल,
'आ'फत में पड़े हैं मास्टर लाल. ।
'इ'तवारी छुट्टी , समझो गैर ,
'ई'मानदारी कराए सबसे बैर ।
'उ'धार के कंडे गोल-गोल,
'ऊ'पर से M.D.M. का पैसा है गोल ।
'ए'क ऑडिटर उगाही को आता ,
'ऐ'नक पहने मास्टर को हडकाता ।
'ओ'झल है विद्यालय से ज्ञान ,
'औ'र M.D.M. में है ध्यान ।
'अं'धी कमाई में हैं चूर ,
'अ:' रिश्वत लेते हुजुर ।
'क'ल फिर से होनी है गुफ्तगू ,
'ख'न्डहर B.R.C. पर मीटिंग क्यूँ ।
'गा'ड़ी चलाकर खाते हैं धूल ,
'घ'र से बड़ी दूर है स्कूल ।
'च'लो पैदल झेलो धूप ,
'छा'ते से बचेगा रूप ।
'ज'ब भी कहो , कम दिया अनाज ,
'झ'गड़े प्रधान , हो जाए नाराज ।
'टी'चर जो करे पैसा गोल ,
'ठौ'र अधिकारी माँगे मोल ।
'ड'रें साहब खुले जो पोल ,
'ढ'हे झूठी इज्जत का खोल ।
'ता'ले में गोबर से आती घिन , कब मिटेंगे ऐसे 'दु'र्दिन ।
'द'लिया को चाट गई है बिल्ली ,
'ध'मकाए हमें हर लल्ला और लल्ली , '
ना'कारा उडाएँ मास्टर की खिल्ली ।
'प'ढ़ाकर कैसे बनाएँ ज्ञानी ,
'फा'लतू सूचनाओं से परेशानी ,
'बं'द कराओ ये कारस्तानी ।
'भ'वन , ड्रेस पर सबका ध्यान ,
'मा'स्टर की मुश्किल में जान ।
'य'मलोक ले जाता खाना अशुद्ध ,
'र'सोईया मानदेय को करते युद्ध।
'लि'खना-पढ़ना जिसे न आता ,
'वो' प्रबंध समिति का अध्यक्ष
बन जाता ।
'शि'क्षा का अधिकार कानून बदलवाओ ,
'ष'ड़यंत्र सेशिक्षा को बचाओ । —
स"रकार अब तो लो संज्ञान।
ह"म लोग भी है इंसान।।
क्ष"त्रिय रूप में जब अध्यापक होगा
त्रा"हिमाम सरकार का होगा
ज्ञा"न प्राप्त तब उन्हें होगा