ज़िंदा रख

ज़मीर  ज़िंदा  रख
यानी कबीर  ज़िंदा रख ।

सुल्तान भी बन जाए तो
दिल में  फ़क़ीर  ज़िंदा  रख ।

लालच  डिगा न पाए तुझे
आंखो  का  नीर  ज़िंदा रख ।

इन्सानियत सीखाती जो
मन में वो पीर ज़िंदा रख ।

हौसले  के तरकश  में
कोशिश का तीर ज़िंदा रख ।