गर्मी के दोहे
रहिमन कूलर राखिये ..बिन कूलर सब सून।
कूलर बिना ना किसी को ..गर्मीमें मिले सुकून।।
एसी जो देखन मैं गया ..एसी ना मिलया कोय।
जब घर लौटा आपणे ..गर्मी में ऐसी-तैसी होय।।
बिजली का बिल देखकर ..दिया कबीरा रोय।
कूलर एसी के फेर में ..खाता बचा ना कोय।।
बाट ना देखिए एसी की ..चला लीजिए फैन।
चार दिनों की बात है ..फिर आगे सब चैन।।
पंखा देखत रात गई ..आई ना लेकिन लाईट।
मच्छर गाते रहे कान में .. पार्टी आँल नाईट।।